हिंदू पौराणिक मान्यताओं के आधार पर दशा माता की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि अगर जो कोई भक्त दशामाता (Dasha Mata) की पूजा अर्चना साफ शुद्ध मन से पूरे विधि विधान से करता है। तो दशामाता उन्हें आशिर्वाद देती है। अगर आप नहीं जानते है कि कैसे करते है दशा माता की पूजा और किन विधियों का पालन करने से दशामाता को प्रसन्न करना है तो आइये जानते है।
दशामाता का व्रत हर साल चैत्र मास की कृष्णपक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कपर मनुष्य का बुरा समय दूर हो सकता है तथा दशमाता की कृपा सदैव बनी रहती है। इसके साथ ही घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
दशामाता पूजा विधि Dasha Mata Vrat Puja
दशामाता व्रत के दिन जो महिला पहली बार पूजा कर रही है। तो इस बात का जरूर ध्यान रखे कि इस व्रत को शुरू करने के बाद इसे छोड़ा नही जाता है। बल्कि इस व्रत को आजीवन किया जाता है। मान्यता है कि जो महिला दशामाता ( Dasha Mata) का व्रत रख रही है। तो वह महिला सुबह जल्दी उठकर घर की अच्छे से साफ सफाई करके घर के किसी कोने में एक दीवार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
ये भी पढ़ें – Chaitra Navratri 2026: जानें कब है घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
फिर स्वास्तिक के पास 10 बिंदियां बनाएं और दशा माता की पूजा के लिए रोली, मौली , सुपारी, चावल, दीप, नैवेद्य, धुप आदि शामिल करें। इसके अलावा व्रती महिलाये सफेद कच्चा धागा लें। और उसमे 10 गांठ बना लें फिर उसे हल्दी में रंग लें। और दशामाता( Dasha Mata) की पूजा करने के बाद इस धागे को गले में पहन लें। मान्यता है कि इस धागे को पूरे साल गले से नही उतारना चाहिए। और अगले वर्ष जब भी दशामाता का पूजा करे तब पुराने धागे को उतारकर नया धागा पहन लें। इसके बाद दशमाता की पूजा पूरे विधि विधान से करे। और पूजा के अंत मे माता दशा की कथा सुने
दशामाता व्रत 2026 कब है? Dasha Mata Vrat 2026
दशामाता व्रत 14 मार्च 2026 शनिवार को पड़ेगा
दशामाता व्रत शुरू होगा 4 मार्च 2026 बुधवार
दशामाता व्रत समाप्त होगा 14 मार्च 2026 शनिवार को
चैत्र मास कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि शुरू होगी 13 मार्च सुबह 6:28 पर
और यह तिथि समाप्त होगी 14 मार्च सुबह 8:10 पर