Ashadha Purnima 2025: हिन्दू धर्म में पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व बताया है प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पर्णिमा तिथि पॅड़ती हैं. इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पर्णिमा ‘के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। गुरु पूर्णिमा को व्यास पृर्णिमा भी कहा जाता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व जीवन में गुरु के विशिष्ट स्थान को दर्शाता है। आषाढ़ पूर्णिमा दिन पवित्र नदी में स्रान और गरीबों ग दान-पुण्य करने का महत्व है
इसूके अलावा आषाढ़ पूर्णिमा तिथि पर व्रत और भगवान सत्यनारायण की पजा और कथा करने का विशेष महत्व हैं। ऐसा करने से परिवार में सुख और समुद्धि आती है। इसके आलावा पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा पजा से कंडली का चंद्र दोष दूर होगा।
पूर्णिमा के दिन रात के समय मेंधन की देवीं माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन में वृद्ध होती है। आइये जानते है साल 2025 में आषाढ़ पूर्णिमा व्रत की तिथि शुभ मुहर्त और पूजा विधि व महत्व
2025 में कब है आषाढ़ पूर्णिमा Ashadha Purnima 2025 Date
पंचांग के अनुसार, इस साल पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 09 जुलाइ 2025 को शाम 06 बजकर 54 मिनट से होगी। इस तिथि का समापन 10 जुलाई 2025 को शाम 05 बजकर 47 मिनट पर होगी। इसलिए उदयातिथि के आधार पर इस बार 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा मनाईं जाएगी।
आषाढ पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त Ashadha Purnima 2025 Date
इस साल आषाढ़ पूर्णिमोॉ का ब्रत, स्रान-दान एक ही दिन यानी 10 ज़ुलाई को मनाया जाएगा।
पूर्णिमा पर स्रान के लिए ब्रह्म मुहूर्त का सबसे उतम समय है। सुबह 04:10 से 04:50 तक रहेगा है।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:59 मिनट से दोपहार 12 बजकर 54 मिनट तक है।
निशिता काल पूजा मुहूर्त – 10 जुलाई को देर रात 12: 06 से 12:47 तक है
चंद्रोदय का समय – 10 जुलाई 2025 को आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चाद निकलने का समय शाम 07 बजकर 20 मिनट पर है।
आषाढ़ पूर्णिमा पूजा विधि Ashadha Purnima Puja Vidhi
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल मिले पानी से स्रान करके साफ़ कपड़े धारण कें। फिर, व्रत का संकल्प लें। अब स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दे। अब घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करक एक चौकी पर लाल रंग का वस्तल बिछाएं। उस पर भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
यह भी पढ़े – कब है हरियाली तीज 2025: Hariyali Teej Kab Hai, नोट करे पूजा विधि, शुभ मुहूर्त
Ashadha Purnima के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। उन्हें धूप, दीप, फूल, फल, चंदन और मिठाई का भोग लगाएं। इस दिन ऊं नमोः भगवते वासदेवाय नम: के मंत्र का 108 बार जाप अवश्य करं. सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें और आरती करें। शाम को चंद्रमा निकलने पर, चंद्रमा को दूध, जल, चंदन और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें। आषाढ़ पूर्णिमा Ashadha Purnima को गुरु पर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है।
इसलिए इस दिन अपने ग्रुओं का सम्मान करना न भूलें। यदि संभव हो तो गुरु के पास जाकर टक्षिणा अर्पित करें। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है। इसलिए आप अपनी इच्छा और सामर्थ्य अनुसार गरीबो को दान दक्षिणा अवश्य दे।