नमस्कार मित्रो मैं हु अजीत यादव मैने इस लेख के माध्यम से बताया हूँ कि साल 2025 में इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत कब रखा जाएगा, पूजा की सही तिथि क्या होगी, पूजा करने की विधि क्या रहेगी और इस दिन क्या करना चाहिए क्या नही करना चाहिए आईये जानते हैं।
Jivitputrika Vrat 2025 Date: दोस्तो जितिया व्रत एक अत्यन्त महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जो आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर किया जाता है। इस व्रत को मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की सुरक्षा व स्वास्थ्य की कामना के साथ करती हैं। अथार्त यह व्रत संतान की लम्बी आयु, स्वस्थ और खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है। जिसे विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इस दिन जीमूतवाहन की पूजा की जाती है और इस दिन निर्जला उपवास करने का विधान है।
तीन दिनों तक चलने वाला इस व्रत की शुरुआत नहाए-खाए के साथ होती है। दसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और तीसरे दिन व्रत का पारंण किया जाता है। जितिया व्रत में 1 दिन से पहले सप्तमी तिथि अथार्त नहाए खाए वाले दिन व्रती तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, का सेवन नही करना होता है।
जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि
वे महिलाये जो जीवित्पुत्रिका अथार्त जितिया व्रत रखती है या रखना चाहती है वे इस दिन सुबह स्न्नान आदि के बाद स्वछ वस्त धारण करे और व्रत करने का संकल्प ले। अब पूजा स्थल की अच्छे ये साफ सफाई करे और अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करे अब उनकी धूप, दीप आदि से आरती करें और इसके बाद भोग लगाएं।
इस व्रत में प्रसाद और रंग-विरंगे धागे अर्पित किए जाते है इसके बाद अपने संतान को सुरक्षा कवच के रूप में धागे पहना दिए जाते है। और उन्हें खुशहाल जीवन और लम्बी उम्र की कामना करके आशीर्वाद दिया जाता है। महिलाये सप्तमी तिथि यानी नहाये खाये पर व्रत की शुरुआत करती है। और अष्टमी तिथि को पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। और नवमी तिथि को व्रत का पारण किया जाता है।
इसके आलावा व्रती महिलाये इस दिन विशेष रूप से ध्यान रखें कि एक दिन पहले से ही लह्युन, प्याज आदि का सेवन ना करें। इसके अलावा व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म की शुद्धता भी जरूरी है। ऐसे में अपने मन में किसी के लिए भी छल-कपट का भाव ना रखे, वे महिला जिसने एक बार भी जितिया का व्रत रखा है। वह उसे पुरे विधि विधान से हर साल रखे। और इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।
जीवित्पुत्रिका व्रत के नियम
जितिया व्रत तीन दिनों तक चलता है, पहले दिन नहाय-खाय होता है। और दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, और तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इसलिए नहाय खाय से पारण तक पूरे तीन दिनों के लिए नियम मानने चाहिए।
पहले दिन यानी नहाय-खाय वाले दिन लहसुन-प्याज वाला भोजन नहीं करना चाहिए। साथ ही तामसिक भोजन भी नहीं करना चाहिए, व्रत के तीसरे दिन ब्रह्मुहूर्त में उठकर स्नानादि करे और पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत का पारंण करे। इस दिन युबह स्नान आदि के बाद भगवान सूर्य देव की भी पूजा की जाती है। औय व्रत का पारण किया जाता है।
व्रत रखने वाली महिलाओं को मन में किसी के लिए भी बैरभाव नहीं रखना चाहिए और लड़ाई -झगड़े से बचना चाहिए। जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन महिलाये सूर्योदय से पहले भोजन और जल ग्रहण कर लें। लेकिन सूर्योदय होने के बाद अन्न जल ग्रहण नही कर सकते। व्रत के दौरान आचमन करना भी वर्जित माना जाता है।
Jivitputrika Vrat 2025 Date: जीवित्पुत्रिका व्रत कब है 2025 में? जाने डेट टाइम
| त्योहार के नाम | दिन व तारीख |
|---|---|
| जीवित्पुत्रिका व्रत | 14 सितम्बर, रविवार |
| अष्टमी तिथि प्रारम्भ होगी | 14 सितम्बर 2025 – सुबह 05:04 मिनट पर |
| अष्टमी तिथि समाप्त होगी | 15 सितम्बर 2025 – सुबह 03:06 मिनट पर |
| नहाय-खाय | 13 सितम्बर 2025 |
| व्रत पारण का समय | 15 सितंबर 2025, सुबह 6:10 – 8:32 के बीच |
